महाशिवरात्रि पर 60 साल बाद बन रहा है अद्भुत संयोग* रुद्राभिषेक और पूजा का मिलेगा कई गुना पुण्य

राजेश माली सुसनेर
*महाशिवरात्रि पर 60 साल बाद बन रहा है अद्भुत संयोग* रुद्राभिषेक और पूजा का मिलेगा कई गुना पुण्य
महाशिवरात्रि मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में मनेगी शिव भक्तों को मिलेगा महाशिवरात्रि की पूजा का कई गुना पुण्य.
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए यह पर्व हर साल शिव भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है. महाशिवरात्रि के दिन शिवजी के भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत रखते हैं और विधि-विधान से शिव-गौरी की पूजा करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर मौजूद सभी शिवलिंग में विराजमान होते हैं, इसलिए महाशिवरात्रि के दिन की गई शिव की उपासना से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है.
श्री चिंताहरण बालाजी मंदिर पुजारी पं विजय शर्मा बताया है कि महाशिवरात्रि पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा. ग्रह योग की विशिष्ट स्थिति इससे पहले साल 1965 में बनी थी. 60 साल बाद फिर महाशिवरात्रि पर्व पर तीन ग्रहों की युति बनी है. पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की महाशिवरात्रि 26 फरवरी, धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आ रही है. इस दिन चार प्रहर की साधना से शिव की कृपा प्राप्त होगी.
शुभ संयोग और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की आराधना करने से उनके भक्तों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होगी., साल 1965 में जब महाशिवरात्रि का पर्व आया था, तब सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहे थे. आगामी महाशिवरात्रि 26 फरवरी को भी मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में यही सूर्य, बुध, शनि और चंद्रमा चार ग्रह युति बनाएंगे. सूर्य और शनि पिता-पुत्र हैं और सूर्य शनि की राशि कुंभ में रहेंगे. यह एक विशिष्ट संयोग है, जो लगभग एक शताब्दी में एक बार बनता है, जब अन्य ग्रह और नक्षत्र इस प्रकार के योग में विद्यमान होते हैं. इस प्रबल योग में की गई साधना आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति प्रदान करती है.
पराक्रम और प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए सूर्य-बुध के केंद्र त्रिकोण योग का बड़ा लाभ मिलता है. इस योग में विशेष प्रकार से साधना और उपासना की जानी चाहिए. इस दिन सुबह से ही मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ जमा हो जाती है. सभी भक्त प्रभु की पूजा-अर्चना में जुट जाते हैं. कई लोग इस दिन अपने-अपने घरों में रुद्राभिषेक भी करवाते हैं. भगवान भोलेनाथ की कई प्रकार से पूजा अर्चना की जाती है. लेकिन महाशिवरात्रि पर यदि भक्त बेलपत्र से भगवान शिव की विशेष पूजा करें तो उनके धन संबंधी दिक्कतें दूर हो जाएंगी.
*महाशिवरात्रि तिथि*
पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11:08 मिनट से होगी. इस तिथि का समापन अगले दिन 27 फरवरी को सुबह 8:54 मिनट पर होगा. महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर निशता या निशा काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है. इसलिए 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी.
*चार प्रहर की पूजा देगी धन, यश, प्रतिष्ठा और समृद्धि*
महाशिवरात्रि के पर्व काल में धर्म शास्त्रीय मान्यता के अनुसार चार प्रहर की साधना का विशेष महत्व है. प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव की उपासना के अलग-अलग प्रकार का वर्णन मिलता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यथा श्रद्धा, यथा प्रहर, यथा स्थिति और यथा उपचार के अनुसार साधना करनी चाहिए. चार प्रहर की साधना से धन, यश, प्रतिष्ठा और समृद्धि प्राप्त होती है. जिनके जीवन में संतान संबंधी बाधा हो रही हो, उन्हें भी यह साधना अवश्य करनी चाहिए.
*चार प्रहर की पूजा का समय*
*प्रथम प्रहर पूजा का समय*: सायं 06:19 बजे से रात्रि 09:26 बजे तक
*द्वितीय प्रहर पूजा का समय:* रात्रि 09:26 बजे से मध्यरात्रि 12:34 बजे तक
*तृतीय प्रहर पूजा का समय:* मध्यरात्रि 12:34 बजे से 27 फरवरी , प्रातः03:41 बजे तक
*चतुर्थ प्रहर पूजा का समय:* 27 फरवरी , प्रातः03:41 बजे से प्रातः 06:48 बजे तक
*इन चीजों से करें भगवान शिव का अभिषेक*
महाशिवरात्रि पर्व के दिन भगवान शिव की उपासना के समय शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करना शुभ होता है. ऐसा करने से श्रद्धालु के कार्य जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती है और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है. शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक दही से करने से भी आर्थिक क्षेत्र में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती है. वहीं गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. भगवान शिव का अभिषेक करते समय 108 बार ‘ॐ पार्वतीपतये नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में अकाल संकट नहीं आता है.
*पूजा विधि*
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को पंचामृत से स्नान करा कराएं. केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं. पूरी रात्रि का दीपक जलाएं. चंदन का तिलक लगाएं. बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं. सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटें.