
- *महाशिवरात्रि 26 फरवरी को- बन रहा है अद्भुत त्रिवेणी योग-पं. शर्मा*
महाशिवरात्रि पर अद्भुत त्रिवेणी योग बन रहा है। श्री चिंताहरण बालाजी मंदिर पुजारी पं. विजय शर्मा ने बताया कि इस वर्ष महाशिवरात्रि को सूर्य बुध, शनि को कुंभ राशि पर त्रिवेणी योग बनने से विश्व राजनीति पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। रविवार को प्रातः 11.10 बजे से चतुर्दशी प्रारम्भ, गुरूवार प्रातः 08.56 बजे तक रहेगी। इस दिन श्रवण धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ व शिव योग रहेंगे।
गरुड़ पुराण के अनुसार शिवरात्रि से एक दिन पूर्व त्रयोदशी तिथि में शिवजी की पूजा करनी चाहिए और उसके अनुसार व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद चतुर्दशी तिथि को निराहार रहना चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को गंगा जल चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग का पंचामृत से स्नान कराकर ॐ नमः शिवाय मंत्र से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद रात के चारो प्रहर में शिव जी की पूजा करनी चाहिए और अगले दिन सुबह ब्राह्मणों को दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए, शर्मा ने बताया कि भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए यह दिन सबसे शुभ होता है। इसी तरह की मान्यता शिवरात्रि आती है, लेकिन सबसे बड़ी शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। सूर्य के कुम्भ राशि में प्रवेश के बाद महाशिवरात्रि का आगमन होता है। भगवान शिव पंचमुखी नक्षत्र 10 भुजाओं से युक्त हैं और पृथ्वी, आकाश और पाताल त्रिलोक के एक मात्र स्वामी हैं। शिव का ज्योतिर्मय रूप, शिव का नाम हम सभी जानते हैं। ज्योतिर्मय शिव पंचतत्वों से निर्मित है। शिव का वैदिक रीति से अभिषेक एवं स्तुति आदि से स्तवन किया जाता है। संस्था का आधार शिव परिवार के वाहन सुरक्षित हैं। शिव स्वयं पंचतत्व मिश्रित जल प्रधान है। इन वाहनों में नंदी आकाश तत्व की प्रधानता है। शिव दर्शन के पूर्व नंदीदेव के सागरों के बीच से शिव दर्शन किये जाते हैं। क्योंकि शिव ज्योतिर्मय भी है और सीधे दर्शन करने पर उनका तेज सहन नहीं किया जा सकता है। नंदी देव आकाश तत्व से वे शिव के तेज को धारण करने की पूर्ण क्षमता रखते हैं। माता अग्नि गौरी तत्व की प्रधानता है। इनमें वाहन सिंह भी अग्नितत्व है। स्वामी कार्तिकेय वायु तत्त्व है, वेले वाहन मिश्र भी वायुतत्व है। गणेश पृथ्वी तत्व एवं उसका वाहन मूषक भी पृथ्वी तत्व है।
भगवान शिव को शंख से जल, केतकी का पुष्प तथा कंचा नहीं चढ़ाना चाहिए। लेकिन शिवरात्रि को अर्धरात्रि के समय सूखा कंकुया जा सकता है। हरतालिका को केतकी का पुष्प।
शास्त्री ने बताया कि शिवपूजन निशीथकाल अर्धरात्रि 12.26 से 01.08 तक रहेगा
शिव जी के विभिन्न द्रव्यों से *अभिषेक के फल*
जल से तृप्ति, कुशोदक से व्याधि शांति, इक्षुरस से श्री की प्राप्ति, दूध से पुत्रप्राप्ति, जलधारा से ज्वर शांति, वंश वृद्धि से घृतधारा, कुशोदक से बुद्धि का विकास, कुशोद के तेल से शत्रु नाश, मधु से राज्य प्राप्त होता है।
शिवजी को प्रिय हैं- आक, बिल्वपत्र, देशी घी, भांग, चीनी, दूध, दही, कोलोन और केसर।
इस दिन करें इस मंत्र का जाप
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।